राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी, जोधपुर, किले और महलों के शहर के रूप में जानी जाती है। इस ऐतिहासिक शहर में न केवल भव्य महलों और किलों की विरासत है, बल्कि कुछ अद्वितीय लोग भी हैं जिन्होंने ऐतिहासिक धरोहरों को संजोया है। इनमें से एक हैं सुभाष सिंगारिया, जिन्होंने राजस्थान का पहला अनूठा ‘कॉइन म्यूजियम’ स्थापित किया है। यह म्यूजियम जोधपुर के गर्व का प्रतीक बन गया है और इसमें 185 देशों के 10,000 से अधिक दुर्लभ सिक्कों और 160 देशों के पेपर नोट का संग्रहण है।
कैसे शुरू हुआ यह सफर
सुभाष सिंगारिया की कहानी प्रेरणादायक है। उन्होंने एनडीटीवी से खास बातचीत में बताया कि जब वे कक्षा 9 में थे, तो मेहरानगढ़ किले की यात्रा के दौरान एक पर्यटक ने उन्हें एक सिक्का उपहार स्वरूप दिया। इस छोटे से उपहार ने उनके मन में सिक्कों के कलेक्शन का जुनून जगा दिया। धीरे-धीरे उन्होंने दुनिया भर के सिक्कों और पेपर नोट्स का संग्रह करना शुरू किया। उनके इस जुनून और कुछ अलग करने के इरादे ने उन्हें एक अनोखे म्यूजियम की स्थापना की दिशा में प्रेरित किया।
म्यूजियम की विशेषताएं
यह म्यूजियम मुगल काल, ब्रिटिश काल, और रियासत काल के साथ ही लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में जारी हुए सिक्कों और नोट्स का संग्रहण करता है। यहां विभिन्न कालों के सिक्कों के अनूठे कलेक्शन को देखा जा सकता है। इस म्यूजियम में मिसप्रिंट सिक्के भी शामिल हैं, जिनमें ढलाई के दौरान गलती नहीं रह जाती है। इसके अलावा, भारतीय संस्कृति में विभिन्न धार्मिक आयोजनों में सिक्कों की उपयोगिता के महत्व को भी विस्तार से प्रदर्शित किया गया है।
म्यूजियम की अनूठी पहल
सुभाष सिंगारिया ने अपने म्यूजियम को केवल एक घर तक सीमित नहीं रखा है। उन्होंने ‘म्यूजियम ऑन व्हील्स’ की पहल की है, जिसके तहत वे अपने दुपहिया वाहन पर समय-समय पर विभिन्न विद्यालयों में निःशुल्क एग्जिबिशन लगाते हैं। इसके साथ ही स्कूली बच्चों को भी इस म्यूजियम में निशुल्क प्रवेश देते हैं। इस अनूठी पहल के माध्यम से सुभाष ने न केवल बच्चों में ऐतिहासिक धरोहरों के प्रति जागरूकता बढ़ाई है, बल्कि उन्हें शिक्षा और मनोरंजन का एक नया तरीका भी प्रदान किया है।
पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र
जोधपुर में आने वाले पर्यटक, मेहरानगढ़ और अन्य पर्यटन स्थलों के साथ ही राजस्थान के इस पहले कॉइन म्यूजियम को भी देखकर आकर्षित होते हैं। म्यूजियम का संग्रहण और सुभाष सिंगारिया की इस अनूठी पहल ने देश-विदेश के पर्यटकों के चेहरों पर खुशियां ला दी हैं। यह म्यूजियम न केवल जोधपुर के लिए बल्कि पूरे राजस्थान के लिए गर्व का विषय है।
सुभाष सिंगारिया का यह अनूठा म्यूजियम और उनकी प्रेरणादायक कहानी हमें यह सिखाती है कि एक छोटे से उपहार से भी बड़ी-बड़ी प्रेरणाएं मिल सकती हैं। यह म्यूजियम जोधपुर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को संजोए हुए है और आने वाली पीढ़ियों को इसकी महत्ता समझाने का कार्य कर रहा है।